Dhamtari: Like Jabra, Sondhur will also develop as a tourist area with the help of local villagers.

छत्तीसगढ़ न्यूज़ वेबमीडिया धमतरी : जबर्रा की भांति सोंढूर भी स्थानीय ग्रामीणों की मदद से पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित होगा : कलेक्टर ने सोंढूर सहित सप्तर्षि तपोवन क्षेत्र का दौरा कर ग्रामीणों को जोड़ने पर दिया जोर
धमतरी 23 अक्टूबर 2019 नगरी के ग्राम जबर्रा के वन क्षेत्र को स्थानीय सहभागिता से पर्यावरण आधारित पर्यटन (ईको-टुरिज्म) क्षेत्र के तौर पर विकसित करने के बाद अब सोंढूर और अन्य सप्तर्षि तपोवन क्षेत्र में भी पर्यटन विकसित करने तथा संभावनाएं तलाशने के उद्देश्य से कलेक्टर श्री रजत बंसल ने आज सुबह मेचका ग्राम का दौरा किया और वहां की प्राकृतिक सुंदरता का अवलोकन किया।
इस दौरान उन्होंने मेचका पर्वत पर स्थित जलाशय सहित पौराणिक कथाओं में वर्णित सप्त ऋषियों में से मुचकुंद ऋषि की तपोभूमि का भी दर्शन लाभ लिया एवं वहां पर विख्यात जोड़ा पत्थर के समीप से पूरे क्षेत्र के अप्रतिम सौंदर्य का अवलोकन किया। तदुपरांत उन्होंने क्षेत्र के विभिन्न धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व वाली जगहों का चिन्हांकन कर मंदिर क्षेत्र का विकास ग्रामीणों के सहयोग से करने के निर्देश एसडीएम नगरी को दिए। इसके बाद ग्राम मेचका के ग्रामीणों की बैठक लेकर उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जंगलों की रक्षा बिना स्थानीय सहभागिता के सम्भव नहीं है तथा जंगल भी ग्रामीणों के आय का स्तोत्र बन सकता है। इसलिए सोंढूर जलाशय क्षेत्र को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने तथा पर्यटकों की मांग के आधार पर बोटिंग आदि का काम ग्रामीणों का समूह ही संचालित करने हेतु सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए, जिससे ग्रामवासी प्रत्यक्ष तौर पर लाभान्वित हो सके। साथ ही मुचकुंद ऋषि सहित अन्य सप्त ऋषियों की तपोभूमि के आध्यात्मिक महत्व को जनसाधारण तक पहंुचाने तथा उन्हें धार्मिक तथा प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित कर स्थानीय ग्रामीणों का समूह तैयार करके ग्रामीणों के समूहों को प्रशिक्षित करने के लिए भी उन्होंने सहायक संचालक कौशल विकास अभिकरण को उचित कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया।
     इस दौरान ग्रामीणों ने बाहरी लोगों के द्वारा मेचका के जंगल से औषधीय महत्व के पौधों को दूसरे गाँव के लोगों द्वारा लगातार ले जाने की शिकायत की। इस पर कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीणों से बेहतर जंगल की सुरक्षा और कोई नहीं कर सकता, इसलिए उन्हें अपने पारंपरिक ठेका पद्धति से सभी ग्रामवासियों की पारी लगा कर जंगल की गश्त कर सुरक्षा करनी चाहिए। उन्होंने ग्रामीणों को यह भी आश्वस्त किया कि प्रशासन सहित बाहरी लोगों का इसमें बिलकुल हस्तक्षेप नहीं होगा, बल्कि जंगल को सुरक्षित करने के लिए वन विभाग तथा अन्य संबंधित विभाग द्वारा उचित सहयोग प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर विभिन्न विभाग के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

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