छत्तीसगढ़ न्यूज़ वेबमीडिया कोण्डागांव : सुराजी योजनाओं का अंतिम लक्ष्य है ग्रामों की आर्थिक सामाजिक समृद्धि - कलेक्टर : नरवा,गरवा,घुरूवा एवं बाड़ी पर हुई एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला
कोण्डागांव, 23 अक्टूबर 2019
विगत् दिवस मुख्यालय स्थित वन विभाग के सभागार में राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के संबंध में एकदिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन कलेक्टर नीलकंठ टीकाम की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस दौरान राज्य स्तर के मास्टर ट्रेनर श्री आनंद रघुवंशी ने नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी के अवधारणा के बारे में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के गांव में पूर्व से ही पशुधन समृद्धि एवं प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध है, इन्हीं के माध्यम से ही गांव में आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण किया जा सकता है इसके क्रियान्वयन के तहत प्रत्येक गांव में पशुओं के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए गौठान बनाने के साथ-साथ उसे संचालित करने ग्राम गौठान समिति का गठन किया जायेगा। समिति में न्यूनतम 8 एवं अधिकतम 13 सदस्य शामिल होंगे। इस समिति का मुख्य कार्य गौठान की देखरेख के अलावा उसकी वार्षिक कार्ययोजना तैयार करना है, जिसका प्रस्ताव ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्राम सभा में प्रस्तुत कर अनुमोदन लिया जायेगा। गौठान में पानी, बिजली, शेड, महिलाओं के लिए प्रसाधन व्यवस्था, पैरा कुटटी मशीन, चरवाहा कक्ष, पशु चिकित्सा की आवश्यक व्यवस्थाएं भी रहेंगी।
मास्टर ट्रेनर ने आगे बताया कि गौठान के अंतर्गत संचालित ग्रामीण उद्योग केन्द्र से संबंधित समस्त उत्पाद एवं सेवाओं के लिये उत्पादन व विपणन कार्ययोजना तैयार किया जाएगा। इस कार्य के सुचारू संचालन के लिये पर्याप्त वातावरण तैयार कर युवाओं, महिलाओं, किसानों एवं अन्य वर्ग के ग्रामीणों की सहभागिता को बढ़ाया जाएगा। गौठान प्रबंधक की भूमिका गौठान की सफाई, गौठान में अन्य सामग्रियों का उपयोग, मवेशी को चारा और पानी देना, गोबर का एकत्रीकरण आदि होगा। गौठान का गोबर गौठान समिति का होगा। गोबर की व्यवस्था के संबंध में गौठान समिति को ग्राम सभा की सहमति से निर्णय लेना है कि गोबर चरवाहा या महिला समूहों को किस अनुपात मं वितरण होगा और यदि विक्रय हो तो इसके लिए भुगतान की प्रक्रिया क्या होगी।
कलेक्टर इस मौके पर कहा कि सुराजी योजनाओं का अंतिम लक्ष्य ग्रामों की आर्थिक एवं सामाजिक समृद्धि है और यह जिले के लिए गर्व का विषय है कि जिला कोण्डागांव के ग्राम पंचायत बड़ेकनेरा में आदर्श गौठान का निर्माण किया गया है। चूंकि यह सभी जानते है कि गाय हमारे लिए दूध उत्पादक जीव के साथ-साथ गोबर और गोमूत्र उत्पादक भी है। छत्तीसगढ़ के खेतों की भूमि संरचना इस प्रकार है कि यदि उनमें पर्याप्त मात्रा में कम्पोष्ट न मिलाया जाए, तो वे निरंतर उर्वरकता खोती चली जायेगी। किसान के लिए गायें दूध के नहीं वरन बायोफर्टिलाइजर की उत्पादक इकाईयां हैं। इन्हें बचाना खेतों को बचाने का पहला चरण है इसलिए सरकार ने गौठान जैसा नवाचारी प्रकल्प प्रस्तुत किया। गौठानों में न केवल गोवंश सुरक्षित रहेगा, बल्कि वहां किसानों के घूरे के खाद को भी महिला सहायता समूहों की मदद से भी कम्पोस्ट में बदलकर किसानों को दे दिया जायेगा। किसान इस कम्पोस्ट का खेत में छिड़काव कर अपने फसलों की गुणवत्ता बढ़ा सकेगा।
कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नुपूर राशि पन्ना ने कहा कि छत्तीसगढ़ के गांवों में आधुनिक जीवनशैली के फलस्वरुप कई सकारात्मक और नकारात्मक भी परिलक्षित हुए है। अति आधुनिकता के चलते गांवों के शिल्प, उनके उत्पादन, गांव की रूचियों एवं जरूरतों को बाजारों ने बुरी तरह से परिवर्तित करना शुरू कर दिया है। गांवों के हाट-बाजारों से गांव में पैदा किये उत्पाद लगभग गायब हो गए हैं। पर्यावरण असंतुलन की वजह से नदियां, नाले, तालाब सूखते जा रहे है, खेतों की उर्वरकता लगातार कम हो रही हैं। चारागाह जैसे सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण के शिकार हो रहे हैं, जिसका खामियाजा हमारे साथ-साथ पशुधनों को भी भुगतना पड़ रहा है। इन सब कारणों के चलते सुराजी योजनाओं का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की प्राचीन विरासत को पुनः पाने का प्रयास है। जिसमें हमारी आर्थिक-सामाजिक विकास की कंुजी छिपी है।
इस अवसर पर जिले के सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, गौठान के प्रभारी अधिकारी सहित संबधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
कोण्डागांव, 23 अक्टूबर 2019
विगत् दिवस मुख्यालय स्थित वन विभाग के सभागार में राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के संबंध में एकदिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन कलेक्टर नीलकंठ टीकाम की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस दौरान राज्य स्तर के मास्टर ट्रेनर श्री आनंद रघुवंशी ने नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी के अवधारणा के बारे में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के गांव में पूर्व से ही पशुधन समृद्धि एवं प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध है, इन्हीं के माध्यम से ही गांव में आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण किया जा सकता है इसके क्रियान्वयन के तहत प्रत्येक गांव में पशुओं के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए गौठान बनाने के साथ-साथ उसे संचालित करने ग्राम गौठान समिति का गठन किया जायेगा। समिति में न्यूनतम 8 एवं अधिकतम 13 सदस्य शामिल होंगे। इस समिति का मुख्य कार्य गौठान की देखरेख के अलावा उसकी वार्षिक कार्ययोजना तैयार करना है, जिसका प्रस्ताव ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्राम सभा में प्रस्तुत कर अनुमोदन लिया जायेगा। गौठान में पानी, बिजली, शेड, महिलाओं के लिए प्रसाधन व्यवस्था, पैरा कुटटी मशीन, चरवाहा कक्ष, पशु चिकित्सा की आवश्यक व्यवस्थाएं भी रहेंगी।
मास्टर ट्रेनर ने आगे बताया कि गौठान के अंतर्गत संचालित ग्रामीण उद्योग केन्द्र से संबंधित समस्त उत्पाद एवं सेवाओं के लिये उत्पादन व विपणन कार्ययोजना तैयार किया जाएगा। इस कार्य के सुचारू संचालन के लिये पर्याप्त वातावरण तैयार कर युवाओं, महिलाओं, किसानों एवं अन्य वर्ग के ग्रामीणों की सहभागिता को बढ़ाया जाएगा। गौठान प्रबंधक की भूमिका गौठान की सफाई, गौठान में अन्य सामग्रियों का उपयोग, मवेशी को चारा और पानी देना, गोबर का एकत्रीकरण आदि होगा। गौठान का गोबर गौठान समिति का होगा। गोबर की व्यवस्था के संबंध में गौठान समिति को ग्राम सभा की सहमति से निर्णय लेना है कि गोबर चरवाहा या महिला समूहों को किस अनुपात मं वितरण होगा और यदि विक्रय हो तो इसके लिए भुगतान की प्रक्रिया क्या होगी।
कलेक्टर इस मौके पर कहा कि सुराजी योजनाओं का अंतिम लक्ष्य ग्रामों की आर्थिक एवं सामाजिक समृद्धि है और यह जिले के लिए गर्व का विषय है कि जिला कोण्डागांव के ग्राम पंचायत बड़ेकनेरा में आदर्श गौठान का निर्माण किया गया है। चूंकि यह सभी जानते है कि गाय हमारे लिए दूध उत्पादक जीव के साथ-साथ गोबर और गोमूत्र उत्पादक भी है। छत्तीसगढ़ के खेतों की भूमि संरचना इस प्रकार है कि यदि उनमें पर्याप्त मात्रा में कम्पोष्ट न मिलाया जाए, तो वे निरंतर उर्वरकता खोती चली जायेगी। किसान के लिए गायें दूध के नहीं वरन बायोफर्टिलाइजर की उत्पादक इकाईयां हैं। इन्हें बचाना खेतों को बचाने का पहला चरण है इसलिए सरकार ने गौठान जैसा नवाचारी प्रकल्प प्रस्तुत किया। गौठानों में न केवल गोवंश सुरक्षित रहेगा, बल्कि वहां किसानों के घूरे के खाद को भी महिला सहायता समूहों की मदद से भी कम्पोस्ट में बदलकर किसानों को दे दिया जायेगा। किसान इस कम्पोस्ट का खेत में छिड़काव कर अपने फसलों की गुणवत्ता बढ़ा सकेगा।
कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत नुपूर राशि पन्ना ने कहा कि छत्तीसगढ़ के गांवों में आधुनिक जीवनशैली के फलस्वरुप कई सकारात्मक और नकारात्मक भी परिलक्षित हुए है। अति आधुनिकता के चलते गांवों के शिल्प, उनके उत्पादन, गांव की रूचियों एवं जरूरतों को बाजारों ने बुरी तरह से परिवर्तित करना शुरू कर दिया है। गांवों के हाट-बाजारों से गांव में पैदा किये उत्पाद लगभग गायब हो गए हैं। पर्यावरण असंतुलन की वजह से नदियां, नाले, तालाब सूखते जा रहे है, खेतों की उर्वरकता लगातार कम हो रही हैं। चारागाह जैसे सार्वजनिक भूमि अतिक्रमण के शिकार हो रहे हैं, जिसका खामियाजा हमारे साथ-साथ पशुधनों को भी भुगतना पड़ रहा है। इन सब कारणों के चलते सुराजी योजनाओं का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की प्राचीन विरासत को पुनः पाने का प्रयास है। जिसमें हमारी आर्थिक-सामाजिक विकास की कंुजी छिपी है।
इस अवसर पर जिले के सभी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, गौठान के प्रभारी अधिकारी सहित संबधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें