छत्तीसगढ़ न्यूज़ वेबमीडिया रायपुर, 06 अगस्त 2018 - राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज (6 अगस्त, 2018) तिरूवनंतपुरम में केरल विधानसभा की हीरक जयंती समारोह के समापन आयोजन के रूप में ‘लोकतंत्र का त्योहार’ कार्यक्रम का
भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए फंड की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी: राज्यपाल श्री टंडन
सैनिक कल्याण बोर्ड की अमलगमेटेड स्पेशल फंड की बैठक संपन्न
राज्यपाल ने स्वेच्छा अनुदान से ढाई लाख रूपए देने की घोषणा की
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने कहा कि देश की खातिर सैनिक अपने जीवन की परवाह नहीं करते हुए सर्वोच्च वीरता दिखाते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए फंड की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। देश और समाज का भी यह कर्तव्य है कि वह भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों की चिंता करें और हरसंभव मदद करें। श्री टंडन ने कहा कि भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए किए जाने वाले कार्यों से आज के सैनिकों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे पूरी लगन से देश सेवा में जुटे रहेंगे। उक्त उद्गार राज्यपाल श्री टंडन ने आज यहां राजभवन में सैनिक कल्याण बोर्ड द्वारा आयोजित अमलगमेटेड स्पेशल फंड की राज्य प्रबंधन समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर राज्यपाल श्री टंडन ने सैनिक कल्याण निधि के लिए स्वेच्छा अनुदान से ढाई लाख रूपए देने की घोषणा की।
बैठक में भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसमें मुख्य रूप से भूतपूर्व सैनिकों को अमलगमेटेड स्पेशल फंड से विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता देने के लिए वर्तमान में छह लाख रूपए की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर आठ लाख रूपए किया गया। इसके अलावा पूर्व सैनिकों की बेटियों के विवाह के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को 31 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रूपए किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के नॉन पेंशनर को चिकित्सा सहायता 01 हजार से बढ़ाकर 03 हजार रूपए बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा भूतपूर्व सैनिकों के विशेष आवश्यकता वाले बच्चों/दिव्यांग बच्चों को 15 सौ रूपए प्रतिमाह की आर्थिक सहायता उनके माता-पिता के जीवित रहते भी दी जाएगी। पूर्व में यह सहायता माता-पिता के निधन के बाद ही दी जाती थी। निःशक्त पूर्व सैनिकों को मोडिफाइड स्कूटर के रिप्लेसमेंट के लिए भी सहायता दी जाएगी। अध्यक्ष को विशेष परिस्थितियों में आर्थिक स्वीकृति के लिए अतिरिक्त अधिकार दिए जाने पर भी बैठक में सहमति व्यक्त की गई।
इस अवसर पर राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, उपाध्यक्ष ब्रिगेडियर श्री एस.एस. धाडवाल कमांडर, छत्तीसगढ़ ओड़िशा सब एरिया (कोसा), विशेष आमंत्रित सदस्य विंग कमांडर श्री बी.एस. अत्री, ब्रिगेडियर श्री एस.एन. तिवारी, प्रमुख सचिव श्री अमिताभ जैन, राज्यपाल के सचिव श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, दुर्ग जिले के कलेक्टर श्री उमेश अग्रवाल, सैनिक कल्याण बोर्ड संचालनालय के संचालक एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) श्री ए.एन. कुलकर्णी, विधि सलाहकार श्री एन. के. चन्द्रवंशी, उप सचिव श्रीमती रोक्तिमा यादव, अशासकीय सदस्यों में कर्नल (सेवानिवृत्त) श्री के. एल. यादव, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री सुधा सक्सेना उपस्थित थीं।
इस अवसर पर रायपुर और दुर्ग जिले को झंडा दिवस निधि में अधिकतम राशि संग्रहण के लिए गवर्नर्स ट्राफी प्रदान की गई। इसके अलावा रायपुर और दुर्ग जिला सैनिक कल्याण के अधिकारियों को भी झंडा दिवस निधि में अधिकतम संग्रह के लिए क्रमशः प्रथम व द्वितीय पुरस्कार दिए गए।
राष्ट्रपति ने तिरूवनंतपुरम में ‘लोकतंत्र का त्योहार’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया
बहस और परस्पर मेल-मिलाप की संस्कृति से राजनीतिक हिंसा की प्रवृत्तियों का सामना किया जाना चाहिए : राष्ट्रपति
06 AUG 2018 - राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज (6 अगस्त, 2018) तिरूवनंतपुरम में केरल विधानसभा की हीरक जयंती समारोह के समापन आयोजन के रूप में ‘लोकतंत्र का त्योहार’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि राजनीति, सार्वजनिक जीवन और लोकतंत्र की गुणवत्ता समाज के आवश्यक तत्वों के प्रतिबिंब होते हैं। केरल विधानसभा और इसकी बहसें व परिचर्चाएं तथा मानवीय मूल्य राज्य की परंपराओं का दर्पण हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली सदियों में भी केरल की सामाजिक संरचना ने बहस और संवाद को प्रोत्साहित किया है। आदि शंकराचार्य, श्री नारायण गुरु और अय्यंकली जैसे दूरदर्शी सुधारकों ने यही रास्ता दिखाया है। विभिन्न मतों जैसे हिंदू, इस्लाम, ईसाई, यहूदी को मानने वालों को यही बात प्रेरित करती रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई व्यक्ति एक मत विषेश को मान सकता है, अन्य किसी मत को मान सकता है या मत को बिलकुल नहीं मान सकता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि बहस और परस्पर मेल-मिलाप की संस्कृति केरल के जीवन का डीएनए रहा है और इसे संरक्षित रखा जाना चाहिए।
पिछले 60 वर्षों के दौरान केरल विधानसभा के योगदान की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक हिंसा एक विरोधाभास के रूप में विद्यमान है। यह दुर्भाग्य पूर्ण है और राज्य तथा इसके लोगों की गौरवशाली परंपराओं के अनुरूप नहीं है। सभी राजनीतिक समूहों और नागरिकों को ऐसी प्रवृत्तियों की रोकथाम के लिए प्रयास करना चाहिए। बहस, मतभेद और असहमति पूरी तरह स्वीकार्य हैं और हमारी राजनीति में इनका स्वागत किया जाना चाहिए। हिंसा का हमारे संविधान में कोई स्थान नहीं है।
भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए फंड की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी: राज्यपाल श्री टंडन
सैनिक कल्याण बोर्ड की अमलगमेटेड स्पेशल फंड की बैठक संपन्न
राज्यपाल ने स्वेच्छा अनुदान से ढाई लाख रूपए देने की घोषणा की
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने कहा कि देश की खातिर सैनिक अपने जीवन की परवाह नहीं करते हुए सर्वोच्च वीरता दिखाते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिए फंड की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। देश और समाज का भी यह कर्तव्य है कि वह भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों की चिंता करें और हरसंभव मदद करें। श्री टंडन ने कहा कि भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए किए जाने वाले कार्यों से आज के सैनिकों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे पूरी लगन से देश सेवा में जुटे रहेंगे। उक्त उद्गार राज्यपाल श्री टंडन ने आज यहां राजभवन में सैनिक कल्याण बोर्ड द्वारा आयोजित अमलगमेटेड स्पेशल फंड की राज्य प्रबंधन समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर राज्यपाल श्री टंडन ने सैनिक कल्याण निधि के लिए स्वेच्छा अनुदान से ढाई लाख रूपए देने की घोषणा की।
बैठक में भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसमें मुख्य रूप से भूतपूर्व सैनिकों को अमलगमेटेड स्पेशल फंड से विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता देने के लिए वर्तमान में छह लाख रूपए की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर आठ लाख रूपए किया गया। इसके अलावा पूर्व सैनिकों की बेटियों के विवाह के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को 31 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रूपए किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के नॉन पेंशनर को चिकित्सा सहायता 01 हजार से बढ़ाकर 03 हजार रूपए बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा भूतपूर्व सैनिकों के विशेष आवश्यकता वाले बच्चों/दिव्यांग बच्चों को 15 सौ रूपए प्रतिमाह की आर्थिक सहायता उनके माता-पिता के जीवित रहते भी दी जाएगी। पूर्व में यह सहायता माता-पिता के निधन के बाद ही दी जाती थी। निःशक्त पूर्व सैनिकों को मोडिफाइड स्कूटर के रिप्लेसमेंट के लिए भी सहायता दी जाएगी। अध्यक्ष को विशेष परिस्थितियों में आर्थिक स्वीकृति के लिए अतिरिक्त अधिकार दिए जाने पर भी बैठक में सहमति व्यक्त की गई।
इस अवसर पर राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, उपाध्यक्ष ब्रिगेडियर श्री एस.एस. धाडवाल कमांडर, छत्तीसगढ़ ओड़िशा सब एरिया (कोसा), विशेष आमंत्रित सदस्य विंग कमांडर श्री बी.एस. अत्री, ब्रिगेडियर श्री एस.एन. तिवारी, प्रमुख सचिव श्री अमिताभ जैन, राज्यपाल के सचिव श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, दुर्ग जिले के कलेक्टर श्री उमेश अग्रवाल, सैनिक कल्याण बोर्ड संचालनालय के संचालक एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) श्री ए.एन. कुलकर्णी, विधि सलाहकार श्री एन. के. चन्द्रवंशी, उप सचिव श्रीमती रोक्तिमा यादव, अशासकीय सदस्यों में कर्नल (सेवानिवृत्त) श्री के. एल. यादव, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री सुधा सक्सेना उपस्थित थीं।
इस अवसर पर रायपुर और दुर्ग जिले को झंडा दिवस निधि में अधिकतम राशि संग्रहण के लिए गवर्नर्स ट्राफी प्रदान की गई। इसके अलावा रायपुर और दुर्ग जिला सैनिक कल्याण के अधिकारियों को भी झंडा दिवस निधि में अधिकतम संग्रह के लिए क्रमशः प्रथम व द्वितीय पुरस्कार दिए गए।
राष्ट्रपति ने तिरूवनंतपुरम में ‘लोकतंत्र का त्योहार’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया
बहस और परस्पर मेल-मिलाप की संस्कृति से राजनीतिक हिंसा की प्रवृत्तियों का सामना किया जाना चाहिए : राष्ट्रपति
06 AUG 2018 - राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज (6 अगस्त, 2018) तिरूवनंतपुरम में केरल विधानसभा की हीरक जयंती समारोह के समापन आयोजन के रूप में ‘लोकतंत्र का त्योहार’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि राजनीति, सार्वजनिक जीवन और लोकतंत्र की गुणवत्ता समाज के आवश्यक तत्वों के प्रतिबिंब होते हैं। केरल विधानसभा और इसकी बहसें व परिचर्चाएं तथा मानवीय मूल्य राज्य की परंपराओं का दर्पण हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली सदियों में भी केरल की सामाजिक संरचना ने बहस और संवाद को प्रोत्साहित किया है। आदि शंकराचार्य, श्री नारायण गुरु और अय्यंकली जैसे दूरदर्शी सुधारकों ने यही रास्ता दिखाया है। विभिन्न मतों जैसे हिंदू, इस्लाम, ईसाई, यहूदी को मानने वालों को यही बात प्रेरित करती रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई व्यक्ति एक मत विषेश को मान सकता है, अन्य किसी मत को मान सकता है या मत को बिलकुल नहीं मान सकता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि बहस और परस्पर मेल-मिलाप की संस्कृति केरल के जीवन का डीएनए रहा है और इसे संरक्षित रखा जाना चाहिए।
पिछले 60 वर्षों के दौरान केरल विधानसभा के योगदान की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक हिंसा एक विरोधाभास के रूप में विद्यमान है। यह दुर्भाग्य पूर्ण है और राज्य तथा इसके लोगों की गौरवशाली परंपराओं के अनुरूप नहीं है। सभी राजनीतिक समूहों और नागरिकों को ऐसी प्रवृत्तियों की रोकथाम के लिए प्रयास करना चाहिए। बहस, मतभेद और असहमति पूरी तरह स्वीकार्य हैं और हमारी राजनीति में इनका स्वागत किया जाना चाहिए। हिंसा का हमारे संविधान में कोई स्थान नहीं है।

