छत्तीसगढ़ न्यूज़ वेबमीडिया - रायपुर, 14 अगस्त 2018 - राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का दुखद निधन
रायपुर
उल्लेखनीय है कि माननीय राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने 25 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया था। श्री टंडन का जन्म 01 नवंबर 1927 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात वे निरन्तर सामाजिक और सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बृजपाल टंडन के अलावा सुपुत्र श्री संजय टंडन, दो सुपुत्रियां श्रीमती अल्का क्वात्रा और श्रीमती पूनम बत्रा हैं।
माननीय राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद ग्रहण करने के बाद से ही छत्तीसगढ़ के हित में अनेक कार्य किए। सौम्य और सरल स्वभाव के श्री टंडन को छत्तीसगढ़ से अत्यंत लगाव था। यह एक सुखद संयोग था कि उनका जन्मदिन भी राज्य गठन के दिन ही अर्थात 01 नवंबर को था। वे हमेशा कहते थे कि छत्तीसगढ़ जैसे सरल और सहज स्वभाव के लोग मैंने कहीं नहीं देखे हैं। श्री बलरामजी दास टंडन छत्तीसगढ़ की संस्कृति से अत्यंत प्रभावित थे। वे राज्य की तरक्की से बहुत प्रसन्न थे। उनका मानना था कि नवोदित राज्य होने के बाद भी छत्तीसगढ़ ने अभूतपूर्व प्रगति की है।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन का जीवन परिचय
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन का जन्म 01 नवंबर 1927 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात वे निरन्तर सामाजिक और सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा और जनकल्याण के कार्यों की वजह से श्री टण्डन पंजाब की जनता में काफी लोकप्रिय रहे।
श्री टंडन वर्ष 1953 से वर्ष 1967 के दौरान अमृतसर में नगर निगम पार्षद और वर्ष 1957, 1962, 1967, 1969 एवं 1977 में अमृतसर से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1997 के विधानसभा चुनाव में श्री टण्डन राजपुरा विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने पंजाब मंत्रिमंडल में वरिष्ठ केबिनेट मंत्री के रूप में उद्योग, स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, श्रम एवं रोजगार आदि विभागों में अपनी सेवाएं दी और कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। श्री टण्डन वर्ष 1979 से 1980 के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। श्री टंडन जेनेवा में श्रम विभाग के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के उपनेता के रूप में शामिल हुए और सम्मेलन को सम्बोधित किया।
उन्होंने नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में सार्क देशों के स्थानीय निकाय सम्मेलन में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1975 से 1977 तक वह आपातकाल के दौरान जेल में रहेे। अपनी निरन्तर सक्रियता से वह राज्य शासन के सामने जनहित के मुद्दों को सामने लाते रहे। वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव की घोषणा ऐसे समय पर हुई थी, जब पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम स्थिति में था। इस दौरान उन्होंने अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में भाग लेने का बीड़ा उठाया, जिसे उस समय सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता था। इस चुनाव अभियान के दौरान आतंकवादियों द्वारा उन पर कई बार हमले किये गये लेकिन सौभाग्य से श्री टंडन सुरक्षित रहे।
श्री बलरामजी दास टंडन ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमृतसर जिले की सीमा पर जनसामान्य में आत्मबल बनाये रखने तथा उत्साह का संचार करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1980 से 1995 के दौरान उन्होंने आतंकवाद का सामना करने तथा इससे लड़ने के लिए पंजाब के जनसामान्य का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों की मदद करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया। श्री टण्डन स्वयं इस फोरम के चेयरमेन थे। ‘कॉम्पिटेंट फाउंडेशन’ के चेयरमेन के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर, निःशुल्क दवाई वितरण, निःशुल्क ऑपरेशन जैसे जनहितकारी कार्यों के माध्यम से गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद की। सौम्य स्वभाव के श्री टंडन जी की खेलों में गहरी रूचि थी। वे कुश्ती, व्हालीबॉल, तैराकी एवं कबड्डी जैसे खेलों के सक्रिय खिलाड़ी थे।
छत्तीसगढ़ में राज्यपाल श्री टंडन का कार्यकाल (25 जुलाई 2014-14 अगस्त 2018)
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद ग्रहण करने के बाद से ही छत्तीसगढ़ के हित में अनेक कार्य किए। सौम्य और सरल स्वभाव के श्री टंडन को छत्तीसगढ़ से अत्यंत लगाव था। यह एक सुखद संयोग था कि उनका जन्मदिन भी राज्य गठन के दिन 01 नवंबर को था। वे हमेशा कहते थे कि छत्तीसगढ़ जैसे सरल और सहज स्वभाव के लोग मैंने कहीं नहीं देखे। श्री टंडन पदभार ग्रहण करने के बाद छत्तीसगढ़ के लगभग हर हिस्से में गए और वहां की संस्कृति से रूबरू हुए और प्रभावित भी हुए। वे छत्तीसगढ़ की तरक्की से बहुत प्रभावित थे। उनका मानना था कि नवोदित राज्य होने के बाद भी यहां की प्रगति अविश्वसनीय है, किन्तु सत्य है।
श्री टंडन ने कुलाधिपति के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने युवाओं को हुनरमंद बनाने पर हमेशा जोर दिया।
वे हमेशा कहा करते थे कि देश की आजादी अमूल्य है और इसे कायम रखने के लिए सभी को विशेषकर नौजवानों को जागरूक रहना आवश्यक है। हमारे नौजवान यह संकल्प लें कि हम देश को कभी गुलाम नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सतत् जागरूकता ही स्वतंत्रता का आधार होता है। सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभानी चाहिए और सतत जागरूक रहना चाहिए।
राज्यपाल आम जनता के प्रति भी काफी संवेदनशील थे। उन्होंने शहर में अपने आवागमन के समय आम जनता को यातायात में हुई असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हुए निर्देशित किया था कि इस दौरान अनावश्यक रूप से और अधिक देर तक ट्रैफिक न रोका जाए। उनकी संवेदनशीलता का एक उदाहरण ऐसा भी है जब ओपन हाउस के दौरान एक निःशक्त व्यक्ति जब मिलने पहुंचा तो उनके परेशानी देखते हुए स्वयं राज्यपाल कक्ष से बाहर आकर निःशक्त व्यक्ति से मुलाकात की और नववर्ष की शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल महोदय ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक थे। उनकी पहल से राज्य में अतिथियों को पुष्प गुच्छ के बजाय एक पुष्प से स्वागत करने की परम्परा शुरू हुई। वे जल संरक्षण के प्रति भी सजग थे। गर्मियों में वे हमेशा जल संरक्षण की अपील करते थे और स्वयं भी उसका पालन करते थे।
राज्यपाल दीन-दुखियों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने अपने वेतन से जम्मूकश्मीर बाढ़ पीडि़तों की सहायता के लिए 51 हजार रूपए की सहयोग राशि दी थी। उन्होंने सैनिक कल्याण बोर्ड को ढाई लाख रूपए की भी सहायता दी थी। श्री टंडन ने राज्यपालों के वेतन में की गई वृद्धि और एरियर्स की राशि (01.01.2016 से देय) को नहीं लेने का निर्णय भी लिया था। श्री टंडन ने समाचार पत्र में पढ़ने के बाद शंकर नगर में डॉ. गुप्ता दंपत्ति द्वारा निर्धन परिवारों के बच्चों के लिए संचालित शिक्षण संस्थान निशांत विद्यालय को 01 लाख रूपए की सहायता दी थी।
श्री टंडन प्रधानमंत्री श्री मोदी जी द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान से बहुत प्रभावित थे। उनका कहना था कि स्वच्छता को हमें अपनी स्वतः प्रेरणा से अपने कार्य, व्यवहार एवं आचरण में लाने की आवश्यकता है। केवल फोटो खिंचवाकर ही स्वच्छता अभियान की इतिश्री नहीं करनी चाहिए। इस जनअभियान को सफल बनाने के लिए एक व्यापक आंदोलन का रूप प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें देश के सभी नागरिकों को सक्रिय सहभागिता निभानी होगी।
शहीदों को नमन करते हुए राज्यपाल ने कहा था कि शहीदों की शहादत की वजह से हम स्वतंत्र देश में सांस ले रहे हैं। उनका मानना था कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद शीघ्र समाप्त होगा। केन्द्र शासन और राज्य शासन समन्वित रूप से इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का निधन: मुख्यमंत्री ने की सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा, परम्परागत रूप से मनेगा स्वतंत्रता दिवस, लेकिन पुरस्कार वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे, राज्य सरकार ने मंत्रालय से जारी किया परिपत्र
रायपुर, 14 अगस्त 2018 मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। श्री टंडन के निधन की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री आज दोपहर राजधानी रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे और उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने दोपहर को ही यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से प्रदेश में राजकीय शोक का परिपत्र जारी कर दिया। यह परिपत्र अध्यक्ष राजस्व मंडल सहित राज्य शासन के सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों को भेजा गया है। परिपत्र के अनुसार प्रदेश में 14 अगस्त से 20 अगस्त तक राजकीय शोक रहेगा। इस अवधि में सरकारी भवनों और जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, वहां ध्वज आधे झुके रहेंगे। साथ ही सरकारी स्तर पर कोई मनोरंजन अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। राज्यपाल के निधन पर आज 14 अगस्त को प्रदेश सरकार के सभी कार्यालय बंद रखे जाएंगे। राजकीय शोक की अवधि में 15 अगस्त का दिन भी शामिल है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय पर्व को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने 15 अगस्त को समारोह परम्परागत रूप से मनाने का निर्णय लिया है। परिपत्र में कहा गया है कि 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज आधा नहीं झुकाया जाएगा और सभी जिलों में सार्वजनिक ध्वजारोहण समारोह में मुख्य अतिथियों द्वारा ध्वजारोहण किया जाएगा। राष्ट्रीय धुन भी होगी और परेड द्वारा सलामी ली जाएगी। परेड निरीक्षण और मार्चपास्ट भी होगा। मुख्यमंत्री राज्य की जनता के नाम संदेश पढ़ेंगे, लेकिन पुरस्कार वितरण, सम्मान समारोह तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। परिपत्र में यह भी बताया गया है कि 15 अगस्त की शाम कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे।
रायपुर
उल्लेखनीय है कि माननीय राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने 25 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया था। श्री टंडन का जन्म 01 नवंबर 1927 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात वे निरन्तर सामाजिक और सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बृजपाल टंडन के अलावा सुपुत्र श्री संजय टंडन, दो सुपुत्रियां श्रीमती अल्का क्वात्रा और श्रीमती पूनम बत्रा हैं।
माननीय राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद ग्रहण करने के बाद से ही छत्तीसगढ़ के हित में अनेक कार्य किए। सौम्य और सरल स्वभाव के श्री टंडन को छत्तीसगढ़ से अत्यंत लगाव था। यह एक सुखद संयोग था कि उनका जन्मदिन भी राज्य गठन के दिन ही अर्थात 01 नवंबर को था। वे हमेशा कहते थे कि छत्तीसगढ़ जैसे सरल और सहज स्वभाव के लोग मैंने कहीं नहीं देखे हैं। श्री बलरामजी दास टंडन छत्तीसगढ़ की संस्कृति से अत्यंत प्रभावित थे। वे राज्य की तरक्की से बहुत प्रसन्न थे। उनका मानना था कि नवोदित राज्य होने के बाद भी छत्तीसगढ़ ने अभूतपूर्व प्रगति की है।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन का जीवन परिचय
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन का जन्म 01 नवंबर 1927 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके पश्चात वे निरन्तर सामाजिक और सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा और जनकल्याण के कार्यों की वजह से श्री टण्डन पंजाब की जनता में काफी लोकप्रिय रहे।
श्री टंडन वर्ष 1953 से वर्ष 1967 के दौरान अमृतसर में नगर निगम पार्षद और वर्ष 1957, 1962, 1967, 1969 एवं 1977 में अमृतसर से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1997 के विधानसभा चुनाव में श्री टण्डन राजपुरा विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने पंजाब मंत्रिमंडल में वरिष्ठ केबिनेट मंत्री के रूप में उद्योग, स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, श्रम एवं रोजगार आदि विभागों में अपनी सेवाएं दी और कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। श्री टण्डन वर्ष 1979 से 1980 के दौरान पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। श्री टंडन जेनेवा में श्रम विभाग के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के उपनेता के रूप में शामिल हुए और सम्मेलन को सम्बोधित किया।
उन्होंने नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में सार्क देशों के स्थानीय निकाय सम्मेलन में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1975 से 1977 तक वह आपातकाल के दौरान जेल में रहेे। अपनी निरन्तर सक्रियता से वह राज्य शासन के सामने जनहित के मुद्दों को सामने लाते रहे। वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव की घोषणा ऐसे समय पर हुई थी, जब पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम स्थिति में था। इस दौरान उन्होंने अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में भाग लेने का बीड़ा उठाया, जिसे उस समय सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता था। इस चुनाव अभियान के दौरान आतंकवादियों द्वारा उन पर कई बार हमले किये गये लेकिन सौभाग्य से श्री टंडन सुरक्षित रहे।
श्री बलरामजी दास टंडन ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमृतसर जिले की सीमा पर जनसामान्य में आत्मबल बनाये रखने तथा उत्साह का संचार करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1980 से 1995 के दौरान उन्होंने आतंकवाद का सामना करने तथा इससे लड़ने के लिए पंजाब के जनसामान्य का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों की मदद करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया। श्री टण्डन स्वयं इस फोरम के चेयरमेन थे। ‘कॉम्पिटेंट फाउंडेशन’ के चेयरमेन के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर, निःशुल्क दवाई वितरण, निःशुल्क ऑपरेशन जैसे जनहितकारी कार्यों के माध्यम से गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद की। सौम्य स्वभाव के श्री टंडन जी की खेलों में गहरी रूचि थी। वे कुश्ती, व्हालीबॉल, तैराकी एवं कबड्डी जैसे खेलों के सक्रिय खिलाड़ी थे।
छत्तीसगढ़ में राज्यपाल श्री टंडन का कार्यकाल (25 जुलाई 2014-14 अगस्त 2018)
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद ग्रहण करने के बाद से ही छत्तीसगढ़ के हित में अनेक कार्य किए। सौम्य और सरल स्वभाव के श्री टंडन को छत्तीसगढ़ से अत्यंत लगाव था। यह एक सुखद संयोग था कि उनका जन्मदिन भी राज्य गठन के दिन 01 नवंबर को था। वे हमेशा कहते थे कि छत्तीसगढ़ जैसे सरल और सहज स्वभाव के लोग मैंने कहीं नहीं देखे। श्री टंडन पदभार ग्रहण करने के बाद छत्तीसगढ़ के लगभग हर हिस्से में गए और वहां की संस्कृति से रूबरू हुए और प्रभावित भी हुए। वे छत्तीसगढ़ की तरक्की से बहुत प्रभावित थे। उनका मानना था कि नवोदित राज्य होने के बाद भी यहां की प्रगति अविश्वसनीय है, किन्तु सत्य है।
श्री टंडन ने कुलाधिपति के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने युवाओं को हुनरमंद बनाने पर हमेशा जोर दिया।
वे हमेशा कहा करते थे कि देश की आजादी अमूल्य है और इसे कायम रखने के लिए सभी को विशेषकर नौजवानों को जागरूक रहना आवश्यक है। हमारे नौजवान यह संकल्प लें कि हम देश को कभी गुलाम नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सतत् जागरूकता ही स्वतंत्रता का आधार होता है। सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभानी चाहिए और सतत जागरूक रहना चाहिए।
राज्यपाल आम जनता के प्रति भी काफी संवेदनशील थे। उन्होंने शहर में अपने आवागमन के समय आम जनता को यातायात में हुई असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हुए निर्देशित किया था कि इस दौरान अनावश्यक रूप से और अधिक देर तक ट्रैफिक न रोका जाए। उनकी संवेदनशीलता का एक उदाहरण ऐसा भी है जब ओपन हाउस के दौरान एक निःशक्त व्यक्ति जब मिलने पहुंचा तो उनके परेशानी देखते हुए स्वयं राज्यपाल कक्ष से बाहर आकर निःशक्त व्यक्ति से मुलाकात की और नववर्ष की शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल महोदय ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक थे। उनकी पहल से राज्य में अतिथियों को पुष्प गुच्छ के बजाय एक पुष्प से स्वागत करने की परम्परा शुरू हुई। वे जल संरक्षण के प्रति भी सजग थे। गर्मियों में वे हमेशा जल संरक्षण की अपील करते थे और स्वयं भी उसका पालन करते थे।
राज्यपाल दीन-दुखियों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने अपने वेतन से जम्मूकश्मीर बाढ़ पीडि़तों की सहायता के लिए 51 हजार रूपए की सहयोग राशि दी थी। उन्होंने सैनिक कल्याण बोर्ड को ढाई लाख रूपए की भी सहायता दी थी। श्री टंडन ने राज्यपालों के वेतन में की गई वृद्धि और एरियर्स की राशि (01.01.2016 से देय) को नहीं लेने का निर्णय भी लिया था। श्री टंडन ने समाचार पत्र में पढ़ने के बाद शंकर नगर में डॉ. गुप्ता दंपत्ति द्वारा निर्धन परिवारों के बच्चों के लिए संचालित शिक्षण संस्थान निशांत विद्यालय को 01 लाख रूपए की सहायता दी थी।
श्री टंडन प्रधानमंत्री श्री मोदी जी द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान से बहुत प्रभावित थे। उनका कहना था कि स्वच्छता को हमें अपनी स्वतः प्रेरणा से अपने कार्य, व्यवहार एवं आचरण में लाने की आवश्यकता है। केवल फोटो खिंचवाकर ही स्वच्छता अभियान की इतिश्री नहीं करनी चाहिए। इस जनअभियान को सफल बनाने के लिए एक व्यापक आंदोलन का रूप प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें देश के सभी नागरिकों को सक्रिय सहभागिता निभानी होगी।
शहीदों को नमन करते हुए राज्यपाल ने कहा था कि शहीदों की शहादत की वजह से हम स्वतंत्र देश में सांस ले रहे हैं। उनका मानना था कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद शीघ्र समाप्त होगा। केन्द्र शासन और राज्य शासन समन्वित रूप से इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का निधन: मुख्यमंत्री ने की सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा, परम्परागत रूप से मनेगा स्वतंत्रता दिवस, लेकिन पुरस्कार वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे, राज्य सरकार ने मंत्रालय से जारी किया परिपत्र
रायपुर, 14 अगस्त 2018 मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। श्री टंडन के निधन की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री आज दोपहर राजधानी रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे और उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने दोपहर को ही यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से प्रदेश में राजकीय शोक का परिपत्र जारी कर दिया। यह परिपत्र अध्यक्ष राजस्व मंडल सहित राज्य शासन के सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों को भेजा गया है। परिपत्र के अनुसार प्रदेश में 14 अगस्त से 20 अगस्त तक राजकीय शोक रहेगा। इस अवधि में सरकारी भवनों और जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, वहां ध्वज आधे झुके रहेंगे। साथ ही सरकारी स्तर पर कोई मनोरंजन अथवा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। राज्यपाल के निधन पर आज 14 अगस्त को प्रदेश सरकार के सभी कार्यालय बंद रखे जाएंगे। राजकीय शोक की अवधि में 15 अगस्त का दिन भी शामिल है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय पर्व को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने 15 अगस्त को समारोह परम्परागत रूप से मनाने का निर्णय लिया है। परिपत्र में कहा गया है कि 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज आधा नहीं झुकाया जाएगा और सभी जिलों में सार्वजनिक ध्वजारोहण समारोह में मुख्य अतिथियों द्वारा ध्वजारोहण किया जाएगा। राष्ट्रीय धुन भी होगी और परेड द्वारा सलामी ली जाएगी। परेड निरीक्षण और मार्चपास्ट भी होगा। मुख्यमंत्री राज्य की जनता के नाम संदेश पढ़ेंगे, लेकिन पुरस्कार वितरण, सम्मान समारोह तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। परिपत्र में यह भी बताया गया है कि 15 अगस्त की शाम कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे।