छत्तीसगढ़ न्यूज़ वेबमीडिया रायपुर, 14 अगस्त 2018 - शोक सन्देश: मुख्यमंत्री ने राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया : प्रदेश ने अपने एक अभिभावक को हमेशा के लिए खो दिया : डॉ. रमन सिंह
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने आज यहां जारी शोक संदेश में कहा है कि स्वर्गीय श्री टंडन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में विगत लगभग चार वर्षाें तक प्रदेश को अपनी मूल्यवान सेवाएं दी। राज्यपाल के रूप में वह छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर काफी सजग रहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा - विगत चार वर्षाें में प्रदेश के हितों को लेकर और प्रदेशवासियों की बेहतरी से जुड़े विषयों को लेकर मुझे हमेशा उनका मार्गदर्शन मिलता रहा। डॉ. सिंह ने कहा - मुझे तो ऐसा लग रहा है कि हम सबने अपने राज्य के अभिभावक को हमेशा के लिए खो दिया है। उन्होंने 25 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद का दायित्व संभाला था। मेरे लिए वह पिता तुल्य थे। मुख्यमंत्री ने कहा - उनका निधन मेरे लिए भी व्यक्तिगत क्षति है। वह अत्यंत सहज, सरल और निश्छल स्वभाव के थे। राजनीति में ऐसे लोग बिरले ही मिलते हैं।
डॉ. रमन सिंह ने कहा - स्वर्गीय श्री टंडन ने अपने 91 वर्ष के जीवन काल में लगभग 65 वर्षाें तक सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग भूमिकाओं में जनता की सेवा के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। वर्ष 1975 से 1977 तक आपातकाल में उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। वर्ष 1953 से 1967 तक वह अमृतसर नगर निगम के पार्षद रहे। उनकी लोकप्रियता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि वह छह बार पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। विधायक के रूप में उन्होंने वर्ष 1957, 1962, 1967, 1969 और 1977 में अमृतसर का और वर्ष 1997 में राजपुरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इतना ही नहीं, बल्कि पंजाब सरकार के केबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने उद्योग, स्वास्थ्य, स्थानीय शासन, श्रम और रोजगार विभागों में अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय श्री टंडन के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
श्री बलराम जी दास टंडन का जन्म एक नवम्बर 1927 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से स्नातक उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वह लगातार पंजाब में सामाजिक-सार्वजनिक गतिविधियों में सक्रिय रहे और वर्ष 1953 से 1997 के बीच छह अलग-अलग अवधि में पंजाब विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। श्री टंडन वर्ष 1979 से 1980 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे। वर्ष 1991 में लोकसभा चुनाव के दौरान जब पंजाब में आतंकवाद अपनी चरम स्थिति में था, उन्होंने अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में भाग लेने का बीड़ा उठाया, जिसे उस समय सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता था। इस चुनाव अभियान के दौरान आतंकवादियों द्वारा उन पर कई बार हमले किए गए लेकिन सौभाग्य से श्री टंडन सुरक्षित रहे। श्री बलरामजी दास टंडन ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान अमृतसर जिले की सीमा पर जनसामान्य में आत्मबल बनाये रखने तथा उत्साह का संचार करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1980 से 1995 के दौरान उन्होंने आतंकवाद का सामना करने तथा इससे लड़ने के लिए पंजाब के जनसामान्य का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने आतंकवाद से प्रभावित परिवारों की मदद करने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया। श्री टण्डन स्वयं इस फोरम के चेयरमेन थे।
उन्होंने ‘कॉम्पिटेंट फाउंडेशन’ के चेयरमेन के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने रक्तदान शिविर, निःशुल्क दवाई वितरण, निःशुल्क ऑपरेशन जैसे जनहितकारी कार्यों के माध्यम से गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद की। श्री बलरामजी दास टंडन के सुपुत्र श्री संजय टण्डन ने उनके जीवन पर आधारित किताब ‘एक प्रेरक चरित्र‘ लिखी, जिसका विमोचन वर्ष 2009 में तत्कालीन पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल ने की थी। सौम्य स्वभाव के श्री टंडन जी की खेलों में गहरी रूचि है। वे कुश्ती, व्हालीबॉल, तैराकी एवं कबड्डी जैसे खेलों के सक्रिय खिलाड़ी रहे।
राज्यपाल श्री टंडन को मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि : जनप्रतिनिधिगण सहित आम जनता ने अर्पित किए श्रद्धासुमन
रायपुर, 14 अगस्त 2018 - राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन का आज दिनांक 14 अगस्त 2018 को रायपुर में दुखद निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर राजभवन के दरबार हाल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती वीणा सिंह के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल श्री टंडन को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने प्रथम महिला श्रीमती बृजपाल टंडन एवं सुपुत्र श्री संजय टंडन से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। श्री टंडन को श्रद्धांजलि देने के लिए आज जनप्रतिनिधिगण, अधिकारियों सहित आम जनता का तांता लगा रहा। सभी के चेहरों पर प्रदेश के हितैषी राज्यपाल को खोने का गम था। इस अवसर पर श्री टंडन की सुपुत्री श्रीमती पूनम बत्रा भी उपस्थित थीं।
श्रद्धांजलि देने वालों में प्रमुख रूप से विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल, कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, राजस्व मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय, लोक निर्माण मंत्री श्री राजेश मूणत, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री दयालदास बघेल, राज्यसभा सांसदद्वय श्री रामविचार नेताम, सुश्री सरोज पाण्डेय, विधायकगण सर्वश्री श्री भूपेश बघेल, श्री विमल चोपड़ा, श्री नवीन मारकण्डेय, श्री श्रीचंद सुंदरानी, श्री आर.के. राय, श्री संतोष उपाध्याय, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री देवजी भाई पटेल, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री छगन मुंदड़ा, महापौर श्री प्रमोद दुबे, पूर्व महापौर श्री सुनील सोनी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री धरमलाल कौशिक, राज्य वन औषधि बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर साहू, छत्तीसगढ़ संस्कृति विद्या मंडलम के अध्यक्ष स्वामी परमात्मानंद, मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री ए. एन. उपाध्याय, मुख्य सूचना आयुक्त श्री एम. के. राउत, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री के. आर. पिस्दा, राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री ठाकुर रामसिंग, सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव सर्वश्री श्री सुनील कुजूर, श्री के.डी.पी. राव, श्री सी.के. खेतान, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अमन कुमार सिंह, वित विभाग के प्रमुख सचिव श्री अमिताभ जैन, सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, राज्यपाल के सचिव श्री सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, संचालक जनसंपर्क श्री चन्द्रकांत उइके, छत्तीसगढ़ डायसिस के बिशप श्री राबर्ट अली एवं छत्तीसगढ़ के पास्टर्स आर्च बिशप श्री विक्टर हैनरी ठाकुर, विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण एवं मीडिया के प्रतिनिधिगण शामिल थे।
राज्यपाल श्री टंडन के निधन पर पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने शोक व्यक्त किया
रायपुर, 14 अगस्त 2018 छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और इसे देश और राज्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। श्री दत्त ने अपनी शोक संदेश में कहा है कि श्री बलरामजी दास टंडन सौम्य, शांत और निश्छल व्यक्तित्व के धनी थे उन्होंने निस्वार्थ रूप से राजनैतिक, प्रशासनिक, सामाजिक और अन्य माध्यमों से देश और समाज की अथक सेवा की है। उनका निधन देश और राज्य के लिए गहरी क्षति है। श्री दत्त ने अपने संदेश में शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।
बलरामजी दास टंडन के निधन पर पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) के.एम. सेठ ने गहरा शोक व्यक्त किया
रायपुर, 14 अगस्त 2018 छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) के.एम. सेठ ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टंडन के आकस्मिक देहावसान पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि श्री टंडन ने अपने लंबे राजनैतिक, सामाजिक और विभिन्न सेवाभावी क्षेत्रों के माध्यम से देश, राज्य और समाज की जो अथक सेवा की है, वह हमेशा याद की जायेगी। श्री टंडन का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने दुख की इस घड़ी में शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है और ईश्वर से प्रार्थना की है कि शोक संतप्त परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
राज्यपाल श्री बलरामजी दास टण्डन के निधन पर आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के राज्यपाल श्री नरसिम्हन ने शोक व्यक्त किया
रायपुर 14 अगस्त आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के राज्यपाल तथा छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बलरामजी दास टण्डन के निधन की जानकारी मिलने पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि इस आकस्मिक दुःखद जानकारी मिलने पर उन्हें गहरा आघात लगा है। उन्होंने कहा है कि लोकतांत्रिक परंपराओं और मूल्यों को बढ़ाने के साथ-साथ विकास के मार्ग को प्रशस्त्र करने में श्री टण्डन द्वारा दिया गया योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि श्री टण्डन उच्च मूल्यों से युक्त अद्भूत व्यक्तित्व के स्वामी थे। जब भी मेरी उनसे मुलाकात होती थी तो श्री टण्डन से उन्हें हमेशा नई जानकारी और ज्ञान की प्राप्ति होती थी। उनके उदार एवं विशाल हृदय के कारण वे श्री टण्डन की स्मृतियों को हमेशा अपने हृदय में संजोये रखेंगे। श्री नरसिम्हन ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना की है और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की है।